पर्याप्त पर्यावरण के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। प्रदूषण हमारे पर्यावरण को खराब कर रहा है। प्रदूषण के बारे में विस्तार से जाने से पहले हमें पर्यावरण को समझने की आवश्यकता है और हम पर्यावरण के महत्व को समझे।जब हम अपने पर्यावरण के महत्व को समझेगे तो हम इसे सभी के लिए बेहतर बनाने में मदद कर सकें।प्रदूषण के बारे में एक और महत्वपूर्ण बात हमें जाननी चाहिए। हमारे इस ब्लॉग का विषय प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi)।
पर्यावरण क्या है (What is Environment)
अपने आस- पास या चारों और का दायरा (घेरा) जिसमें हम रहते हैं उसे हम पर्यावरण (वातावरण) कहते हैं | पर्यावरण शब्द दो शब्दों ” परि व आवरण” के मिश्रण से बनता है | परि का अर्थ है अपने आस- पास तथा आवरण का अर्थ है जो हमें चारों और से घेरे हुए है (एक घेरा) या जिससे हम घिरें हुए हैं| पर्यावरण में जैविक ,अजैविक ,प्राकितिक तथा मानव निर्मित तत्व पाए जाते हैं |
पर्यावरण के तत्व (Elements of Environment)
जैविक तत्व (Living beings)
जैविक तत्वों के अंतर्गत पेड़ -पौधे, पशु -प्राणी तथा सूक्ष्म जीव आते हैं| पेड़-पौधों पर्यावरण को साफ़ सुथरा रखते हैं | यह हवा से कार्बनडाईऑक्साइड लेकर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं | पेड़ -पौधे वातावरण को हरियाली ,फल आदि प्रदान करते हैं | पशु -प्राणी भी प्रकृति का संतुलन बनाये रखने में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं | सूक्ष्म जीवों का भी वातावरण के निर्माण में काफी योगदान है |
वैज्ञानिक मानते हैं कि पृथ्वी पर जीवन लगभग 370 करोड़ वर्षों से मौजूद है। जीव विज्ञान के संदर्भ में, “जीवन” वह स्थिति है जो अकार्बनिक पदार्थ से सक्रिय जीवों को अलग करती है, जिसमें वृद्धि की क्षमता, कार्यात्मक गतिविधि और मृत्यु से पहले लगातार परिवर्तन शामिल है।

अजैविक तत्व (Non-living things)
अजैविक तत्वों के अंतर्गत सभी प्रकार के निर्जीव पदार्थ जैसे की -प्रकाश ,जल ,तापमान ,वर्षण ,आद्रता (नमी ),ऊंचाई आदि शामिल होते हैं | अजैविक तत्व भी पर्यावरण को संतुलित रखने में लाभकारी है ,जैसे की प्रकाश व तापमान जैविक तत्वों के पोषण तथा जीवन के लिए अनिवार्य है | जह सभी तत्व किसी न किसी रूप में जैविक क्रियाओं को प्रभावित करते हैं |
जीव विज्ञान के आधार पर एक निर्जीव वस्तु का अर्थ है की कोई भी बस्तु जो जीवन के बिना है। जब जीवित होने की तुलना में, एक गैर-जीवित चीज से होती है उसमे कुश विशेषताओं का अभाव होता है। सेल – जीवन की एक मौलिक इकाई है, निर्जीव वस्तु में इसका अभाब होता है।

प्राकितिक तत्व (Natural resources)
पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत के बाद से, हम इंसान और अन्य जीवित प्राणी उन चीजों पर निर्भर हैं जो जीवित रहने के लिए प्रकृति में स्वतंत्र रूप से मौजूद हैं। जैसे की पानी ,हवा ,पहाड़ , जंगल आदि, उन्हें प्राकृतिक तत्व कहा जाता है और वे पृथ्वी पर जीवन का आधार हैं। सरल भाषा में स्प्कितिक तत्व वह तत्व होते हैं जो हमें प्रकृति प्रदान करती है।

मानव निर्मित तत्व (Man-made resources)
प्राकृतिक तत्व के इलावा जो चीजे है जो मानव के आने से उत्पत्ति में आयी है उसे मानव निर्मित तत्व कहते है| मानव निर्मित तत्व वह तत्व हैं जिसका निर्माण मनुष्य अपनी सुख सुविधाओँ को पूरा करने के लिए करता है जैसे की घर ,इमारतें ,कारख़ाने ,उद्योग आदि तत्व होते हैं| सरल भाषा में जो चीजे जो हमें प्रकृति प्रदान नहीं करती है और मानव ने उसे बनाया है उसे मानव निर्मित तत्व।

पर्यावरण हमारे जीवन को विकसित करने व बढ़ने में बहुत लाभदायक है | वह हमें सारी सुःख -सुभिधाएं प्रदान करता है, जो हमें पृथ्वी पर जीवन व्यतीत करने के लिए अनिवार्य है | एक साफ़ सुथरा वातावरण जीवन को शांतमय और स्वस्थ बनाता है | प्रकिति और प्रकिति पर रह रहे जीवों का आपसी तालमेल अच्छा होना बहुत जरूरी है | यह हम सभी जानते हैं की अगर प्रकिति हमें कुछ प्रदान कर रही है तो उसके बदले में हमें भी उसका ध्यान रखना चाहिए | मनुष्य को बहुत समझदार प्राणी समझा जाता है क्योंकि उसके अंदर कुछ न कुछ करने की इच्छा रहती है (नए-नए प्रयोग करना,दुनिया को जानने की चाह )| इन प्रयोगों के कारण धरती दिन-प्रतिदिन खतरे में जा रही है | ऐसा लगता है मानो एक दिन हवा ,पानी और मिट्टी भी प्रदूषित हो जायेगी |
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प्रदूषण, वातावरण को जहरीला तथा नुकसान पहुंचाता है| प्रदूषण होने का मतलब वातावरण में उन तत्वों का पाया जाना जिनका हमारे जीवन पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है या जो हमारे लिए नुक्सानदायक है | प्राकृतिक प्रदूषण के अंतर्गत पानी, हवा ,धरती ,ध्वनि ,रसायनिक ,औधोगिक,रेडियोधर्मी तथा सामाजिक प्रदूषण आदि आते हैं |
प्रदूषण के प्रकार (Types of pollution)
जल प्रदूषण (Water pollution )
जल कई कारणों से प्रदूषित हो जाता है जैसे उद्योगों से निकलने वाले रसायनिक कचरे से ,घर के सीवेज व नालियों में कई प्रकार के जीवाणुओं तथा हानिकारक पदार्थो के पाए जाने से , कच्चे तेल के समुंदर में गिरने तथा निर्माण कार्यो से निकलने वाले पदाथों का जल के स्रोत्रों में मिलने से जल दूषित हो जाता है| दुषित जल का प्रयोग करने से ग्रामीण क्षेत्रों में हैजा ,टायफॉइड ,अतिसार आदि बीमारियाँ फ़ैल जाती हैं| सूक्ष्म जीव जल में घुली हुई आक्सीज़न का उपयोग कर लेते हैं तथा जल में आक्सीज़न की मात्रा पर्याप्त नहीं रहती| जल में जैविक द्रव्य अधिक होने के कारण जल में रह रहे कई जीव -जन्तुओं की मृत्यु भी हो जाती है|

वायु प्रदूषण (Air pollution)
मनुष्य यह जानते हुए भी कि वह वायु के बिना जीवित नहीं रह सकता लेकिन फिर भी उसे प्रदूषित कर रहा है| वायु के मुख्य घटक नाइट्रोजन,आक्सीज़न एवं कॉर्बन डाईऑक्साइड हैं , परन्तु आधुनिकता के कारण वायुमंडल अनेक हानिकारक गैसों से मिश्रित हो रहा है | अत्यधिक वायु प्रदुषण के कारण आसमान भी धुंधला दिखाई पड़ता है | दूषित वायु से हमें अस्थमा ,निमोनिया ,फेफड़ों में कैंसर, आँखों में जलन आदि बिमारियाँ होने का ख़तरा रहता है |

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)
अत्याधिक तीव्र ,अनियंत्रित एवं असहनीय ध्वनि से वातावरण प्रदूषित हो रहा है | त्योहारों व उत्सवों ,राजनैतिक दलों की चुनाव प्रचार रैलियों में इस्तेमाल हो रहे लाउडस्पीकरों ,वाहनों व डीज़ल पम्पों तथा जनरेटरों के शोर ,औद्योगिक क्षेत्रों में हो रहे निर्माण कार्यों में जुटी मशीनों ,हॉर्न व सायरनों के कारण ध्वनि प्रदूषण फैलता है | ध्वनि प्रदूषण से हृदय रोग ,सिरदर्द एवं अनिंद्रा रहती है|

भूमि प्रदूषण (Land pollution)
कृषि में उर्वरकों, रसायनों व कीटनाशकों के प्रयोग करने, औद्योगिक इकाइयों तथा खानों -खादानों से निकले हुए कचरे के विसर्जन ,मकानों व इमारतों के निर्माण कार्यों ,प्लास्टिक का अधिक प्रयोग करने और कारखानों या मिलों से निकलने वाले पदार्थो से भूमि प्रदूषण फ़ैल रहा है | इन सभी के दुष्प्रभाबों से धरती कृषि योग्य नहीं रही है| भोज्य पदार्थ भी दूषित ( ज़हरीले ) हो रहे हैं|

रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive pollution)
रेडियोधर्मी उपकरणों के इस्तेमाल ,कारखानों तथा रेडियोधर्मी द्रव का अचानक गिर जाने से भी प्रदूषण फैलता है|जिसका जीवों व पेड़- पौधों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, त्वचा में जलन तथा कई प्रजातियों का खत्म होना शामिल है|

रसायनिक प्रदूषण (Chemical pollution)
कारखानों ,मिलों में रसायनों के उपयोग ,उत्पादन व रख -रखाव , खेती में कीटनाशकों के इस्तेमाल से वातावरण प्रदूषित हो रहा है | रसायनिक प्रदूषण हमारे खाने , पानी,धरती को ज़हरीला बना देता है | इससे धरती की उपजायु क्षमता समाप्त हो जाती है |

सामाजिक प्रदूषण (Social pollution)
जनसंख्या वृद्धि , सामाजिक ,आर्थिक व सांस्कृतिक प्रदूषण (शैक्षिक पिछड़ापन ,अपराध ,झगड़ा ,फसाद ,चोरी,,डकैती तथा गरीबी) भी वातावरण को दूषित कर देता है | इन सब के कारण तनाव, ईर्षा, चिड़चिड़ापन का माहौल पैदा होता है|

आज के समय में दुनिया की सबसे बड़ी समस्या प्रदूषण बन चुका है| प्रदूषण का तात्पर्य प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने व वातावरण में गंदगी होने से है ,जिसके कारण सभी जीव-जन्तु और वनस्पति इसकी चपेट में आ रहे हैं | इसके के दुष्प्रभावों को हर तरह से देखा जा सकता है पर कुछ दशकों से प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ रहा है जिस कारण धरती व धरती पर रह रहे जीवों का जीवन ख़तरे में जा रहा है|
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वातावरण को प्रदूषित होने से कैसे बचाए (How to protect the environment from being polluted)

- जल सभी जीवों के लिए मुल्यवान है, इसलिए हमें अपने जल स्रोत्रों को बचाना होगा | उद्योगों व कारखानों से निकलने वाले कचरे को नदियों में नहीं मिलाना चाहिए , उनका उद्योगों में ही पुनः चक्रित (recycle) करके इस्तेमाल करना चाहिए |
- हमें जल स्रोत्रों की साफ-सफ़ाई का भी ध्यान रखना होगा , खेत -खलियानो में कीटनाशकों का कम से कम इस्तेमाल तथा प्राकृतिक खाद या खाद्यापर्दाथों का उपयोग करना चाहिए |
- रासायनिक साबुनों का इस्तेमाल सोच समझकर ही करना होगा | घर तथा आस -पास की नालियों की नियमित रूप से सफ़ाई चाहिए|
- ध्वनि-विस्तारक यंत्र (Loudspeaker) के प्रयोग पर सरकार को प्रतिबंद लगाना चाहिए , अगर आवश्यक हो तभी इसकी अनुमति देनी चाहिए | इनका प्रयोग चिकत्सालयो व शिक्षण संथानों के समीप नहीं किया जाना चाहिए|
- वाहनों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए , अगर घर के समीप ही कोई कार्य हो तो हमें पैदल या साईकिल से ही जाना चाहिए|
- पटाखों का प्रयोग न के बराबर , वाहनों के हार्न का कम से कम प्रयोग ,वाहनों के सायलेंसरो (silencer) व इंजन की देखभाल समय -समय पर करनी चाहिए|
- कृषि कार्यो में रासायनिक खादों की जगह प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल करना चाहिए| एक ही खेत में अलग -अलग फसल उगानी चाहिए ,जिससे धरती की उर्वकता बढ़ने में सहायता मिलती है| घर में गोबर -गैस संयंत्र का इस्तेमाल करने से घर में गैस तथा कृषि के लिए खाद भी मिल जाती है|
- ठोस पदार्थों जैसे टिन ,लोहा,तांबा कांच आदि को मिट्टी में दबाना नहीं चाहिए| घर के कूड़े -कचरे को इधर उधर नहीं फेंकना चाहिए,कूड़ेदान का प्रयोग करना चाहिए|
- प्लास्टिक व प्लास्टिक की बनी वस्तुओं का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए|
- रेडियोधर्मी (radioactive ) द्रव के कारखानों में अगर कोई रसाब (लीकेज) है तो उसे तुरंत ठीक करवाना चाहिए | रेडियोधर्मी कचरे को सुचारु रूप से नष्ट करना चाहिए|
- अपने सामाजिक प्रदूषण को कम करने के लिए हमें मिलजुल कर रहना चाहिए , एक दूसरे की मदद करनी चाहिए जिससे अपना वातावरण शांतमय व सुखद बना रहता है|
- हमें ग्लोवलवार्मिंग जैसी जटिल समस्या से निपटने के लिए अपने घर से ही शुरुआत करनी होगी जैसे ऊर्जा की बचत करने के लिए बिजली से चलने वाले उपकरणों को जरूरत न होने पर बंद कर देना चाहिए| घर में साधारण बल्बों की जगह सीएफएल का इस्तेमाल करें| एयरकंडीशनर का प्रयोग कम करें , अगर अकेले कहीं बाहर जाना है तो साइकिल ,बाइक या कार पूल का इस्तेमाल करें|
- सरकार को वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए वनों के काटने पर रोक लगानी चाहिए तथा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देना चाहिए| अगर किसी भी निर्माण कार्य ( मकान ,इमारतें ,सड़के आदि ) के लिए पेड़ काटने भी पड़ते हैं तो हमें नए पेड़ लगाने चाहिए ताकि वातावरण का संतुलन बना रहे| परन्तु आजकल देखा गया है कि सड़कों, रेलपथों व नहरों के निर्माण में अंधाधुन पेड़ काटे जा रहे हैं और पुनः वृक्षारोपण नहीं हो पा रहा, जिस कारण इसके दुष्प्रभाव भी देखने को मिले हैं| इन सब बातों पर हमें सरकार का ध्यान आकर्षित करना होगा, सड़कों के निर्माण करने वाली संथाएँ (companies ) एक तो पेड़ों को काट देती हैं साथ ही आम जनता से राहदारी (टोल टैक्स ) बसूल करती हैं और अरबों रूपए कमाती हैं| सरकारों को चाहिए की इनको ठेका देने से पहले पेड़ों को लगाने का प्रस्ताव भी रखना चाहिए ताकि वातावरण के संतुलन को कोई हानि न पहुंचे|
- पर्यावरण को बचाने के लिए हमें लोगों में जागरूकता फैलानी होगी क्योंकि लोग अभी तक भी इसकी महत्तता व नुक्सान के बारे में नहीं सोच रहे| लोगों को अपनी जेवें गरम करने की लगी है| हमें जागरूकता फैलाने के लिए समाजसेवी संस्थाओं का सहारा लेना होगा| वैसे तो भारत सरकार ने भी इस संधर्व में स्वच्छ भारत अभियान शुरु किया है जिसका हमें पालन करना चाहिए|
निष्कर्ष – प्रदूषण पर निबंध (CONCLUSION – Essay on pollution in Hindi)
अंत में हम बस इतना ही कहना चाहते हूँ कि धरती (पृथ्वी) हमारा घर संसार है हमें इसे स्वच्छ रखना चाहिए और दूषित होने से बचाने के लिए गंभीर कदम उठाने होंगे तभी हम स्वच्छ वातावरण का आनंद ले पाएंगे|
हम इस ब्लॉग – प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) का सार जानने का प्रयास करते है|
- पर्यावरण शब्द दो शब्दों ” परि व आवरण” के मिश्रण से बनता है|
- परि का अर्थ है अपने आस- पास तथा आवरण का अर्थ है जो हमें चारों और से घेरे हुए है|
- पर्यावरण के चार तत्व है|
- प्रदूषण के सात प्रकार होते है।
- हम वातावरण को प्रदूषित होने से बचा सकते है।
मुझे उम्मीद है कि इस ब्लॉग (प्रदूषण पर निबंध – Essay on pollution in Hindi) को पढ़ कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिली होगी।
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