महात्मा गांधी का नाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता के नाम से जाना जाता है । वह हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चले और हमें आजादी दिलाने में अपनी प्रभावाशाली भूमिका निभाई | उन्होंने अपने इन्हीं सिद्धांतों से भारतीयो को अपने हक़ के लिए आगे आने के लिये प्रेरित किया। जिस कारण उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर सम्बोधित किया गया | देश की आज़ादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले और सत्य तथा अहिंसा का मार्ग दिखलाने वाले महात्मा गाँधी को सबसे पहले राजवैद्य जीवराम कालिदास ने बापू कहकर सम्भोधित किया था और उसके बाद लोग इन्हें बापू के नाम से भी बुलाने लगे ।गांधी जी ने अपने जीवन के लगभग 30 साल तक देश की सेवा की | उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन और कई आंदोलन चलाए। अगर आप महात्मा गांधी पर निबंध Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) लिखना चाहते है तो इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़े।
महात्मा गांधी का जन्म
महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर (काठियावाड़ एजेंसी) गुजरात में 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनके पिता का नाम ‘करमचंद गांधी‘ जो पहले पोरबंदर और फिर राजकोट की रियासत के दीवान थे | माता का नाम ‘पुतलीबाई‘ था जो धार्मिक विचार वाली बहुत ही सरल स्वभाव की महिला थी | गाँधी जी का जीवन भी अपनी माँ से काफी प्रेरित था। उनके परिवार के सिद्धांतों के कारण ही वह अहिंसा, शाकाहारी तथा आत्मशुद्धि स्वभाव के थे। गांधी जी के 2 भाई और 1 बहन थी |
महात्मा गांधी का वैवाहिक जीवन
गांधी जी का विवाह 13 वर्ष उम्र में सन् 1883 में कस्तूरबा जी के साथ हुआ था | कस्तूरबा जी को लोग प्यार से ‘बा’ कहकर पुकारते थे। कस्तूरबा जी के पिताजी एक बहुत बड़े व्यापारी थे । कस्तूरबा जी को शादी से पहले पढ़ना–लिखना नहीं आता था । शादी के बाद गांधी जी ने उन्हें पढ़ना–लिखना सिखाया। गांधी जी के हर काम में वह उनके साथ होती थी | महात्मा गांधी और कस्तूरबा के 4 बेटे थे – हरीलाल गांधी, मणिलाल गांधी, रामदास गांधी और देवदास गांधी ।
महात्मा गांधी की शिक्षा
गांधी जी ने प्राथमिक शिक्षा पोरबंदर में प्राप्त की | मिडिल स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वह राजकोट में चले गए थे, मैट्रिक की शिक्षा वहीं के एक हाई स्कूल से प्राप्त की | 1887 तक उन्होंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा अहमदाबाद से पास की थी | वह पढ़ने –लिखने में एक औसत छात्र ही रहे। 1888 में उन्होंने गुजरात में भावनगर के सामलदास कॉलेज में पढ़ाई करनी शुरू की लेकिन वहां पर उनका स्वास्थ्य ख़राब रहने लगा तो पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी | कुछ समय बाद वह ‘यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन‘ में अपनी वकालत की शिक्षा करने के लिए इंग्लैंड चले गए । अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1891 में भारत वापिस आ गए | गाँधी जी ने अपनी वकालत की शुरुआत बॉम्बे से की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली, फिर उन्होंने राजकोट में काम शुरू किया परन्तु उन्हें वहां भी काम छोड़ना पड़ा। उसके बाद एक भारतीय कंपनी ने उन्हें वकालत का काम करने के लिए 1893 में दक्षिण अफ्रीका बुला लिया |
दक्षिण अफ्रीका में इन्होने 21 साल बिताए वहां पर वह भारतियों के न्यायिक सलाहकार के रूप में काम करते रहे। वहां पर उन्होंने भारतीयों के साथ नस्लीय भेदभाव का पहला अनुभव किया | उन्हें रेलगाड़ी की पहली श्रेणी की टिकट होने के बाबजूद भी तीसरी श्रेणी में जाने को कहा गया और जब उन्होंने इंकार किया तब उन्हें उठाकर बाहर फेंक दिया गया। इस घटना का उनके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा जिसके फलस्वरूप ही उन्होंने सामाजिक तथा राजनैतिक अन्याय के प्रति जागरूकता फैलानी शुरू की। उन्होंने लोगों को अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित भी किया।
गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन
गांधी जी ने अपने जीवन के कई साल दक्षिण अफ्रीका में अपनी वकालत के समय बिताए | वहाँ पर उन्होंने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को देखा और अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाई |उनकी जिंदगी में ऐसी कई घटनाएं आई जिनसे उन्हें काफी कुछ सिखने को मिला | 1914 में गाँधी जी भारत वापिस आ गए। भारत लोटने पर उन्होंने देश के विभिन्न हिसों का दौरा किया और भारत के राजनैतिक, आर्थिक और सामजिक हालातों को समझा तथा भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपना योगदान दिया । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए गांधी जी ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी | भारत की आजादी के लिए उन्होंने कई आंदोलन किये
चंपारण आंदोलन (1917)
चंपारण आंदोलन गांधी जी के सभी आंदोलनों में सबसे पहले आता है | यह आंदोलन उन्होंने बिहार के चंपारण जिले में अप्रैल 1917 में शुरू किया था | जिसका प्रमुख कारण – अंग्रेजों ने किसानों को उनके खेतों में नील और अन्य फसलों को उगाने के लिए मजबूर किया | बाद में फसलों की बहुत तुच्छ हालत के कारण उन्हें कम लागत पर बेचना पड़ा था । मौसम की खराब दशा और अधिक कर के कारण किसानों को अत्यधिक निर्धनता का सामना करना पड़ा और किसानों की दशा बहुत अधिक दयनीय हो गई थी । गांधी जी ने कुशल वकीलों के साथ मिलकर चंपारण जिले के लोगों को संघटित किया और उनके अंदर जागरूकता फैलाई तथा उन्हें मजबूत बनाकर इसका विरोध करना सिखाया। इस आंदोलन के फलस्वरूप अंग्रेजों ने नील की खेती का फरमान रद्द कर दिया और इस सफलता से गांधी जी को महात्मा का शीर्षक भी प्राप्त हुआ ।
खेड़ा आंदोलन (1918)
वर्ष 1918 ई में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों की फसल बुरी तरह नष्ट हो गई थी, जिससे उनको उनकी फसल का चौथा हिस्सा भी प्राप्त नहीं हुआ था | अंग्रेज सरकार उनसे जबरन कर-वसूली कर रही थी | महात्मा गांधी की प्रेरणा से वल्लभ भाई पटेल एवं अन्य नेताओं ने अगुवाई करके कर-वसूली के विरुद्ध यह आन्दोलन किया | अंग्रेज सरकार किसानों की बात नहीं मान रहे थी और उन्हें उनकी भूमि को जब्त करने की धमकी दे रहे थी | लेकिन किसान भी अपनी मांगों के लिए पांच महीने तक लगातार अटल रहे। इस संघर्ष के कारण किसानों को जेल में भी जाना पड़ा | गांधी जी के नेतृत्व में वह अपनी मांग ‘कर पर छूट’ पर अड़े रहे और आंदोलन को जारी रखा | जून 1918 तक यह आंदोलन चला और अंत में अंग्रेज सरकार को किसानों की मांगे स्वीकार करनी पड़ी | अंग्रेज सरकार ने यह फैसला सुनाया कि कर उन्ही किसानों से वसूला जाएगा जो कर का भुगतान करने मैं सक्षम हैं | इस फैसले के बाद गांधी जी ने अपना आंदोलन बंद कर दिया | इस आंदोलन का असर पूरे गुजरात में हुआ | इस आंदोलन के अंत पर गरीब किसानों ने कर नहीं दिया और किसानों की अधिहृत संपत्ति भी वापस हो गई |
खिलाफत आंदोलन (1919)
प्रथम विश्व युद्ध तुर्की और सहवासी राष्ट्रों के बीच हुआ था | तुर्की के खलीफा को मुस्लिमों के मज़हबी मुख्यी के रूप मे जाना जाता था | उस समय यह विवरण आया कि अंग्रेज सरकार तुर्की पर निंदापूर्ण शर्तें लागू कर रही है | मुसलमान समुदाय अपने खलीफा को लेकर बहुत चिंतित हो गए और सहायता के लिए गांधी जी के पास गए | उनके संचालन में खिलाफत आंदोलन शुरू किया । महात्मा गांधी का सबसे पहला और बड़ा राजनीतिक आंदोलन खिलाफत आंदोलन रहा है । इस आंदोलन की मुहिम कुछ भारतीय मुसलमान समुदाय (अली बंधु, शौकत अली, मालैाना आजाद, मोहम्मद अली, हसरत मोहानी, हकीम अजमल खान तथा अन्य) के द्वारा शुरू की गई थी। जिसका मकसद था –
(i) अंग्रेज सरकार मुसलमानों के पवित्र स्थानों पर अपना कब्ज़ा न करे |
(ii) जितने भी मुसलमानों के पवित्र स्थान है, उस पर तुर्की के खलीफा सुल्तान का संचालन रहे |
(iii) मुसलमान समुदाय के खलीफा सुल्तान की गद्दी बची रहे |
1919 में गाँधी जी ने आज़ादी की लड़ाई के लिए मुसलमान समुदाय को भी अपने साथ ले लिया और मुसलमान समुदाय ने भी खिलाफत आंदोलन में उनका साथ दिया। महात्मा गाँधी को अखिल भारतीय मुसलमान सम्मेलन में एक अनूठा प्रतिनिधि बनाया गया | इस आंदोलन की सफलता से गाँधी जी को राष्ट्रीय नेता का सम्मान दिया गया |
असहयोग आंदोलन (1920)
असहयोग आंदोलन को लागू करने का कारण वर्ष 1919 में अमृतसर (पंजाब) के जलियावालां बाग में हुए भारतीयों के हत्याकांड को भी माना जाता है | इस हत्याकांड में लगभग 400 लोग मारे गए और लगभग 1000 लोग घायल हो गए थे | इस हत्याकांड का असर पूरे भारत में हुआ था और इस हत्याकांड ने गांधी जी को भीतर तक झिंझोर कर रख दिया था | उन्हें महसूस हुआ कि हमारा देश अंग्रेजों से मेहफूज नहीं है | अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार के खिलाफ 1 अगस्त, 1920 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में यह सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया गया । तब जाकर उन्होंने असहयोग आंदोलन शुरू करने का फैसला कर लिया था। कांग्रेस सरकार ने उन्हें समर्थन दिया, और इस आंदोलन को शांतिपूर्ण तरीके से शुरू किया ।
इस आंदोलन से विदेशी सामान का बहिष्कार होने लगा | इस आंदोलन के तहत अंग्रेज सरकार द्वारा प्रदान की गई सुभिदायों को भारतीयों ने अस्वीकार कर दिया तथा सिविल सेवायो, पुलिस, सेना, अदालतों और विधान परिषदों, स्कूलों, कॉलेजों आदि में जाना छोड़ दिया था। शराब की दुकानों को बंद करके, विदेशी वस्त्रों की होली जलाई गयी। इसके चलते ब्रिटिश सरकार को काफी नुकसान हुआ | यह आंदोलन दिन रात आग की तरह फैलता चला गया, लोगों ने विदेशी वस्त्र त्याग कर स्वदेशी वस्त्र पहनने शुरू कर दिये, जिससे भारतीय कपड़ा उत्पादन को काफी फायदा हुआ । आंदोलन के चलते कुछ जगहों पर हिंसात्मक गतिविधियां भी हुई थी। इसके चलते चोरा चोरी की घटना हो गई | फ़रवरी, 1922 को भारतीयों के कुछ समूह ने यूपी में ब्रिटिश सरकार के एक पुलिस स्टेशन को आग लगा दी | जिससे स्टेशन में छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी मारे गए । इस हिंसा की घटना को चौरा – चौरी आंदोलन का नाम दिया गया और इस घटना के बाद गांधी जी को अपना आंदोलन वापस लेना पड़ा था ।
- नमक आंदोलन (1930)
भारतीयों को अंग्रेज सरकार ने नमक इकट्ठा करने या बेचने पर रोक लगाई हुई थी और उनको नमक अंग्रेज सरकार से ही खरीदना पड़ता था । नमक पर अंग्रेज सरकार का एकाधिकार हुआ करता था और नमक पर भरी मात्रा में कर भी वसूला जाता था । नमक आंदोलन अंग्रेज सरकार के इस अत्याचार के खिलाफ शुरू किया, जो कि 12 मार्च, 1930 को महात्मा गांधी ने बड़ी संख्या में रैली निकाल कर शुरू किया था । इस रैली को ‘दांडी यात्रा या दांडी मार्च ‘ का नाम दिया गया | गांधी जी ने समुद्र किनारे पहुंचकर अवैध तरीके से नमक बनाना शुरू कर दिया था | बाद में नमक बनाने में हजारों लोगों शामिल हुए और बड़ी संख्या में यह अवैध तरीके से बेचा जाने लगा | शुरुआती दौर में नमक आंदोलन में करीब 80 लोग ही जुड़ पाए लेकिन जब यह यात्रा अहमदाबाद से दांडी की तरफ बढ़ी तब तक इसमें करीब 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल हो चुके थे।अहिंसक नमक आंदोलन के आगे बढ़ने के कारण और अंग्रेज सरकार को नमक कर वापिस लेना पड़ा।
- दलित आंदोलन (1933 )
जब गांधी जी अहमदाबाद के एक आश्रम में रहने लगे उस समय समाज में छुआछुत का बड़ा जोर चल रहा था | दुदाभाई नाम का एक जुलाहा अपने परिवार सहित गांधी जी के आश्रम में रहने के लिया आया था | गांधी जी ने उसको उसके परिवार सहित वहां रख लिया | परन्तु इस बात पर की वह एक जुलाहा परिवार है, गांधी जी की पत्नी कस्तूरबा, उनके मित्र मगनभाई और अन्य लोग उनसे नाराज हो गए और उन्हें आश्रम भी छोड़ना पड़ा | लोगों की तरफ से गांधी जी को आर्थिक सहायता भी मिलनी बंद हो गई थी | जिसके चलते दुदाभाई ने आश्रम छोड़ने का निर्णय लिया, परन्तु गांधी जी ने उनको जाने से मना कर दिया था | गांधी जी पर आये दिन कोई न कोई जानलेवा हमला कर देता था | 6 महीने के बाद कुछ लोग गांधी जी के साथ हो गए | 1932 में गांधी जी ने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और उन्होंने 1933 में छुआछूत विरोधी आंदोलन शुरू किया | उन्होंने जुलाहा वर्ग के लोगों को ‘हरिजन‘ नाम देकर उनका सम्मान किया | वह हरिजनों के लिए विशेष रूप से दान देते थे | उन्होंने अछूतों के जीवन को सुधारने के लिए कई प्रयास किये और लंबे समय तक हरिजन आंदोलन के लिए उपवास भी रखा |
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत द्वितीय विश्वयुद्ध के समय गांधी जी ने अगस्त 1942 में की थी | इस आंदोलन का एक ही मकसद था ब्रिटिश शासन को भारत से ख़तम करना | इसके चलते गांधी जी ने अवज्ञा आंदोलन शुरू किया जिसमें ”करो या मरो” का नारा लगाया गया | इस आंदोलन के चलते भयंकर हिंसा शुरू हो गई थी, जैसे – रेलवे स्टेशन, सरकारी भवन, दूरभाष कार्यालय और अन्य स्थानों पर | इन सब हिंसक घटनाओं का दोष गांधी जी पर आया जिसके चलते भारतीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार भी कर लिया गया | लेकिन देश भर में विरोध – प्रदर्शन चलता रहा | युसुफ मेहर अली ने भारत छोडो का नारा लगाया था। भारतियों ने इस युद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया था। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति तक अंग्रेज सरकार भारत को उनके अधिकार सौंपने के लिये राजी हो चुके थे | जिसके चलते गांधी जी ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिया, और अंग्रेज सरकार ने कैदियों को रिहा कर दिया |
भारत को आजादी दिलाने में गांधी जी योगदान : भारत को आजादी दिलाने में गांधी जी का सबसे बड़ा योगदान रहा है। अहिंसा के रास्ते पर चलकर उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर किया | उन्होंने आपसी भाईचारा बढ़ाने के लिए भी अपना योगदान दिया और अहिंसा के मार्ग पर चलकर अपने साथ लोगों को भी लेकर चले । गाँधी जी ने भारत में ब्रिटिश शासन के अंत के लिए “करो या मरो” का नारा भी लगाया था । आखिर में 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिस शासन को भारत से जाना पड़ा और हमारा देश आजाद हो गया | गाँधी जी भारत –पकिस्तान का विभाजन नहीं चाहते थे क्योंकि यह सब उनके सिंद्धान्तों के खिलाफ था | वह इस संधर्व में कुछ कर नहीं पाए थे और भारत का विभाजन हो गया । अंग्रेज सरकार भारत छोड़ते -छोड़ते भी देश को दो टुकड़ों भारत -पकिस्तान में बाँट कर चली गई ।
गांधी जी की हत्या
भारत की आजादी के पश्चात भारत और पाकिस्तान में हिंसक घटनाएं होनी शुरू हो गई थी | 30 जनवरी, 1948 को 5 बजकर 16 मिनट पर जब गांधी जी नई दिल्ली के बिड़ला भवन में वह एक प्रार्थना सभा को सम्भोधित करने जा रहे थे तब 1-2 मिनट के भीतर ही नाथूराम ने उनके ऊपर गोलियां की बरसात शुरू कर दी | उनको 3 गोलियां लगी जिसके बाद वह 10 मिनट तक जिंदा रहे और उनकी गोली लगने के कारण मौत हो गई | नाथूराम गोड़से हिन्दू राष्ट्रवादी नेता थे जिनके हिन्दू कट्टरपंथी सभा के साथ सम्भंध थे और वह गाँधी जी को भारत –पकिस्तान के विभाजन का कारण मानते थे।
उनकी मृत्यु की खबर जब पंडित जवाहर लाल नेहरू ने दी तब भारत में शोक की लहर फ़ैल गई | वहां मौजूद लोगों की भीड़ ने नाथूराम को पकड़ लिया था और उसको पुलिस के हवाले भी कर दिया गया था | गांधी जी की हत्या के आरोप में नाथूराम को 15 नवंबर, 1949 में फांसी दे दी गई |
राष्ट्रपिता की उपाधी Father of the Nation
12 अप्रैल 1919 में रविंदर नाथ टैगोर ने महात्मा गाँधी को एक पत्र लिख कर महात्मा कह कर सम्भोधित किया था। 6 जुलाई 1944 में सिंगापुर रेडिओ से सम्भोधित करते हुए सुभाष चन्दर बोस ने महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता कहा था। 28 अप्रैल 1947 को सरोजनी नायडू ने एक समेल्लन में महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता कहा। परन्तु 1999 में गुजराज की हाईकोर्ट में दाखिल एक मुकदमें की सुनवाई करते हुए जस्टिस बेवीस पारीवाला ने आदेश जारी किया था की सभी किताबों, अख़बारों में यह जानकारी दी जाए की सबसे पहले रविंदर नाथ टैगोर ने महात्मा गाँधी को पहली बार फादर ऑफ नेशन का दर्जा दिया था।
सारांश – महात्मा गांधी पर निबंध Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
हम यह आशा करते है की इस पोस्ट “महात्मा गांधी पर निबंध Essay on Mahatma Gandhi in Hindi” में आपको महात्मा गांधी पर निबंध लिखने के लिए अच्छी जानकारी मिली होगी । चलो हम अब इसका सार जानने का प्रयास करते है।
- महात्मा गांधी का जन्म पोरबंदर (काठियावाड़ एजेंसी) गुजरात में 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था।
- गांधी जी का विवाह 13 वर्ष उम्र में सन् 1883 में कस्तूरबा जी के साथ हुआ था |
- गांधी जी ने प्राथमिक शिक्षा पोरबंदर में प्राप्त की थी।
- दक्षिण अफ्रीका में इन्होने 21 साल बिताए।
- गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन
- चंपारण आंदोलन (1917)
- खेड़ा आंदोलन (1918)
- खिलाफत आंदोलन (1919)
- असहयोग आंदोलन (1920)
- नमक आंदोलन (1930)
- दलित आंदोलन (1933 )
- भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
- 30 जनवरी, 1948 को गाँधी जी की हत्या कर दी गयी
- उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधी (Father of the Nation) दी गयी है।
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