स्वतंत्रता दिवस पर निबंध Essay on Independence day in Hindi – 75 years special

स्वतंत्रता पर सभी पशु – पक्षी और  प्राणियों का मूल अधिकार है। पराधीनता के बाद जब स्वतंत्रता मिलती है तब आंनद तथा हर्ष की सीमा नहीं रहती है। सैकड़ों वर्ष पराधीनता में रहने के बाद 15 अगस्त 1947, भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी।  इस आज़ादी को भारतवासियों ने हर्ष- विभोर होकर और बड़ी ही धूम – धाम  मनाया था। तब से लेकर अब तक 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।अगर आप स्वतंत्रता दिवस पर निबंध Essay on Independence day in Hindi लिखना चाहते है तो इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़े

 हर साल लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है | इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होने के कारण सारे सरकारी कार्यालय बंद होते हैं लेकिन फिर भी इस ऐतहासिक दिन को स्कूलों, कॉलेजों और कार्यालयों में कई प्रकार के देश भग्ति के समागम करके बड़ी ही श्रद्धा, हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता हैं और राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) भी लहराया जाता है। 

भारत का इतिहास (History of India) 

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 ग़ुलामी की जंजीरों में भारत कई सालों तक जकड़ा हुआ था | इसे लगभग 1000 साल तक विदेशियों की ग़ुलामी का सामना करना पड़ा है | समय – समय पर देशभर में विदेशी हमलावर आते रहे और अपना जबर – जुलम करते रहे इनका सामना करने के लिए राजा महाराजा और लोग आगू आगे बड़ते रहे | विदेशी पठानों के ख़िलाफ़ महाराणा प्रताप, शिवा जी, गुरु गोबिंद सिंह जी, बाबा बंदा सिंह बहादुर, और महाराजा रणजीत सिंह आदि ने अपना बड़ा योगदान दिया |  

1757 ई. को प्लासी का युद्ध हुआ जिसमें अंग्रेजों ने सिराजुद्दौला को हराकर भारत में अपनी नींव रखी थी। 

1760 में वंदिनाश के युद्व में अंग्रेजों ने फ्रांसीसियों को हराया।

1764 के बक्सर युद्ध में अंग्रेजों और शुजाउद्दौला मेरे कासिम व शाह आलम के बीच हुआ। जिसमें अंग्रेजों को भारत में सर्वोच्च शक्ति माना जाने लगा। 

1767 -1790 में मैसूर में चार युद्व हुए दो हैदर अली उसके बाद दो टीपू सुल्तान के साथ हुए, जिसमें टीपू सुल्तान की हार हुई और मैसूर शक्ति का पतन हो गया।

1849 में चिलियान वाला में अंग्रेजों और सिखों के बीच दूसरा युद्ध हुआ जिसमें सिखों की हार हुई।  

इसके बाद अंग्रेजों ने पुरे भारत पर कब्जा कर लिया। कई छोटे -छोटे राज्यों ने अंग्रेजों के साथ समझौता कर लिया था। कब्ज़ा होने के बाद भी अंग्रेजों का विरोध होता रहा, 1857 में बाल गंगाधर तिलक ने कहा था की ‘स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है | उसके बाद रानी लक्मी बाई, तांत्या टोपे आदि क्रांतिकारी आये। 19 वी. सदी में करतार सिंह सराभा, उधम सिंह, भगत सिंह, राज गुरु, सुखदेव, चन्दर शेख़र आज़ाद, लाला लाजपत राय आदि क्रांतिकारी अपना बलिदान देकर शहीद हुए। 

महात्मा गाँधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू और अन्य राजनेताओं ने भी भारत को स्वतंत्र करवाने में अहम भूमिका निभाई थी। अंग्रेजों की कूटनीतियों का विरोध करने के लिए भारत के स्वतंत्रता सेनानियों ने कई प्रकार के अन्दोलनों को चलाया और इन अन्दोलनों में लोगों की एकजुटता को देखकर अंग्रेजों को उनकी बातों को मानना भी पड़ा था। यह आंदोलन थे -1860 ई. का नील आंदोलन, 1872 ई. का कूका आन्दोलन, 1885 ई. को भारतीय राष्टीय कांग्रेस की स्थापना, 1905 ई. में बंगाल विभाजन, 1905 – 1906 ई. को स्वदेशी व स्वराज, 1906 ई. में मुस्लिम लीग की स्थापना, 1907 ई. कांग्रेस  विभाजन, 1911 ई. दिल्ली राजधानी परिवर्तन, 1914 ई. ताना भगत आन्दोलन, 1916 ई. लखनऊ समझौता तथा होमरूल लीग आन्दोलन, जलियांवाला बाग हत्याकांड, जिसे अमृतसर नरसंहार के रूप में भी जाना जाता है, 13 अप्रैल 1919 ई.,1930 ई. प्रथम गोलमेज सम्मेलन, 1931 ई. गाँधी इर्विन समझौता तथा द्वितीय गोलमेज सम्मेलन, 1932 ई. साम्प्रदायक पंचाट, पूना पैक्ट, तृतिय गोलमेज सम्मेलन, 1922 -1931 ई. क्रांतिकारी राष्ट्रवादी आन्दोलन  हुए, 1937 ई. प्रांतीय विधानमण्डल चुनाव हुआ, 1940  ई. अगस्त प्रस्ताव रखा गया और पाकिस्तान की माँग की गई, 1942  ई. में क्रिप्स मिशन, 1942  ई. को भारत छोड़ो आन्दोलन, 1945 ई. शिमला सम्मेलन, 1946 ई कैबिनेट मिशन और 1947 ई. को मॉयन्टबेटन योजना बनाई गई 4 जुलाई  1947 को भारत विभाजन और भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पास किया गया और 18 जुलाई को पारित किया गया। 14 अगस्त को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ था।   

स्वतंत्रता दिन का महत्व (Importance of Independence Day)

15 अगस्त 1947 भारत के नागरिकों के लिए एक ख़ास दिन है, यह उस दिन की याद दिलाता है जब स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने रक्तपात और बलिदान से हमारे देश को आजादी दिलाई । अंग्रेजों ने लगभग 200 वर्षों तक हमारी मा्तभूमि पर कब्जा किया हुआ था । स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों और बलिदान की बजह से ही ब्रिटिश सरकार को हमारे देश से बाहर निकलना पड़ा । गुलामी का जीवन कोई भी नहीं जीना चाहता है क्यूंकि वह अपनी मर्जी से कोई भी कार्य नहीं कर सकता, उसका अपने आप पर कोई भी अधिकार नहीं होता है | ऐसे ही अपना भारत ब्रिटिश सरकार के आगे गुलाम की ज़िंदगी जी रहा था | जो अंग्रेजी हकुमत कहती थी उसके अनुसार हम भारतीयो को करना पड़ता था | उन्होंने हमारे देश वासियो के साथ कुतों जैसा बर्ताब किया | वह हम भारतीयों को काला कुत्ता (Black Dog) के नाम से पुकारते थे |   

यह हमारे नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा दिये गये बलिदान का नतीजा है जो हम आजाद भारत में रह रहें हैं | हमारे देश को विभिन्न चुनौतियों का सामना समय – समय पर करना पड़ा है | अब हम गर्व से कह सकते हैं की हम आजाद भारत के वासी हैं | हम स्वतंत्र है जो भगवान की देन और हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष का नतीजा है | आज भारत देश ने आजादी के बाद कई क्षेत्रों में प्रगति हासिल की है |

अगर हम अपने पुराने समय की बात करें तो उस समय में हमारे देश के आर्थिक और सामाजिक हालात बहुत ही ख़राब थे | हमारे देश में जो भी सामान बनता था वह अंग्रेज़ लोग अपने देश में ले जाते थे | हमारे देशवासियों पर बहुत अत्याचार हुआ करता था और वह उनसे जानवरों जैसा बर्ताव करते थे | 

स्वतंत्रता सेनानीयों का योगदन (Contributions of Freedom fighters)

देश को आजाद कराने के लिए समय – समय पर क्रांतिकारी आगे आये और उन्होंने अपनी क़ुरबानी भी दी | ऐसे महान योद्धाओं के बारे में हम आज बात करेंगे जिनकी वीरता के तहत हमें आजादी मिली है | आजादी की अगर हम बात करते हैं तो सबसे पहले हम रानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, चंद्र शेखर आजाद, सुखदेव, बाल गंगाधर तिलक, पंडित जवाहरलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, गोपाल कृष्ण गोखले, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, जैसे हजारों सेनानियों का नाम आता है जिनके बलिदान से ही हमें आजादी प्राप्त हुई है |

  1. रानी लक्ष्मीबाई : रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 में उत्तरप्रदेश के बनारस जिले में हुआ था और वह विवाह उपरांत उत्तर प्रदेश के झांसी शहर की रानी बनी । प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, 1857 में इन्होने हिस्सा लिया था। झाँसी के राजा की मृत्यु के बाद, अंग्रेजो ने रानी लक्ष्मीबाई के गोद लिये पुत्र को राजा बनाने से इंकार कर दिया था । रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु 18 जून 1858 को ब्रितानी सेना से लड़ते-लड़ते हो गई।
  2. महात्मा गांधी :  महात्मा गांधी को राष्ट्रीय पिता और बापू जी के नाम से भी जाना जाता है | उनके पिताजी ‘करमचंद्र गाँधी’ और माता ‘पुतलीबाई’ थी | महात्मा गांधी को भारत के सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा दिया गया | गांधी जी ने हमारे देश को आजाद कराने के लिए असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, चम्पारण और खेडा सत्याग्रह, खिलाफत आन्दोलन किया और “करो या मरो”का नारा लगाया था । वह अहिंसा के मार्ग पर चले और सभी को साथ चलने को कहा। उनकी हत्या 30 जनवरी, 1948 को नाथुरम गोडसे ने की थी |
  3. शहीद भगत सिंह : शहीद भगत सिंह का जन्म पंजाब में हुआ था |  उनके पिताजी ‘किशन सिंह’ और माता ‘विद्यावती’ थी | वह भारत के सबसे छोटे स्वतंत्रता सेनानी थे जिनको 23 वर्ष की उम्र में ही देश को आजादी दिलाने के लिए फासी का फंदा लगा दिया गया था | जब लाला लाजपत राय की मौत हुई तब उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने का मन बना लिया था | लाला लाजपत राय की मौत का बदला उन्होंने ब्रिटिश अधिकारी जॉन सॉंडर्स की हत्या करके लिया | उन्होंने बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर केंद्रीय विधान सभा में बम फेंके और क्रांतिकारी नारे लगाए | भगत सिंह पर  ‘लाहौर षड़यंत्र’ का मुकदमा चला और 23 मार्च, 1931 की रात में उनको फाँसी पर लटका दिया गया |
  4. सुभाष चंद्र बोस : सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें लोग नेताजी कहकर पुकारते थे | उनके पिताजी ‘जानकी नाथ बोस’ और माता ‘प्रभावती’ थी | द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इन्होने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी जिस कारण इनको एक सच्चे भारतीय राष्ट्रवादी कहा जाने लगा | नेताजी का प्रसिद्ध नारा था “तुम मुझे खून दो ! मैं तुम्हे आजादी दूंगा”| सुभाषचंद्र बोस और महात्मा गांधी दोनों देश को आजादी दिलवाना चाहते थे परन्तु दोनों का तरीका अलग था | नेताजी ने द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अंग्रेजों के विरुद जापान से सहायता ली और उन्होंने “आजाद हिन्द फ़ौज़”भारतीय राष्ट्रीय सेना का निर्माण किया | 18 अगस्त, 1945 में एक हवाई दुर्घटना हुई जिसमें नेताजी भी थे।  उनका निधन उस हवाई दुर्घटना में हो गया परन्तु उनका शव किसी को भी नहीं मिल पाया था | इसलिए उनकी मृत्यु एक रहस्य बन कर रह गई |
  5. चंद्र शेखर आजाद : चंद्र शेखर आजाद स्वतंत्रता संग्राम में भगत सिंह के साथ ही थे। उनके पिताजी ‘पं. सीताराम तिवारी’ और माता ‘जगरानी देवी थी। इनको हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बनाया गया | आजाद ने ब्रिटिश सरकार से सांडर्स की हत्या करके लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया। वह अपने कर्तव्य से कभी भी पीछे नहीं हटते थे, अपने नियमों का पालन करते थे | उन्होंने अंग्रेजों द्वारा जिन्दा न पकड़े जाने की कसम खाई थी | वह अंग्रेजों से संघर्ष करते 27 फरवरी, 1931 को शहीद हो गये थे ।
  6. शहीद सुखदेव : शहीद सुखदेव भारतीय क्रांतिकारियों में से एक थे। उनका जन्म पंजाब के शहर लुधियाना में हुआ था। बचपन से की वह भगत सिंह के मित्र थे और बड़े होकर वह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के एक वरिष्ठ सदस्य बने । उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु, और चन्द्रशेखर आजाद के साथ मिलकर कई क्रान्तिकारी आंदोलनों में हिस्सा लिया | 23 मार्च, 1931 को उनको भगत सिंह और राज गुरु के साथ फांसी दे दी गई।
  7. बाल गंगाधर तिलक : बाल गंगाधर तिलक का पूरा नाम लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक था | उनके पिताजी ‘श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक’ और माता ‘पारवतीबाई’ थी | वह भारत के एक प्रसिद्ध नेता, समाज सुधारक और स्वतन्त्रता सेनानी थे यही नहीं उन्होंने भारत में पूर्ण स्वराज की माँग उठाई थी | उन्होंने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ जैसे नारे लगाकर लाखों भारतियों को प्रेरित किया था |  इनके लेख केसरी नामक अखबार में प्रकाशित होते थे जिस वजह से वह कई बार जेल गए । बाल गंगाधर तिलक को ‘Father of the Unrest’ मतलब ‘अशांति का जनक’ भी कहा जाता था | उनका निधन 1 अगस्त, 1920 को मुम्बई में हुआ था |
  8. पंडित जवाहरलाल नेहरू : पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चे प्यार से चाचा नेहरू के नाम से भी बुलाते थे | उनके पिताजी ‘पं. मोतीलाल नेहरू’ और माता ‘स्वरूप रानी’ थी | भारतीय स्वतंत्रता के लिए वह महात्मा गांधी के साथ आंदोलनो में हिस्सा लेते रहे और कई बार जेल भी गए | उन्हें राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी बनाया गया | जवाहरलाल नेहरू विदेशी सम्पत्ति का विरोध करते थे | उन्होंने खुद भी खादी कुर्ता और टोपी पहनना शुरू किया | भारत की स्वतंत्रता के बाद वह भारत के पहले प्रधान मंत्री बने |
  9. लाला लाजपत राय : लाला लाजपत राय भारत के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियो में से थे। कुछ लोग इन्हें पंजाब केसरी के नाम से पुकारते थे । इनका जन्म 28 जनवरी, 1865 को पंजाब में हुआ था । पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना भी इन्होने ही की थी। साइमन कमीशन के विरुद्ध सन 1928 में एक प्रदर्शन में इन्होने हिस्सा लिया था, जिसमें इनके ऊपर लाठी चार्ज हुआ और यह बुरी तरह घायल हो गये। घायल होने के बाद में इनकी मृत्य हो गयी थी ।

स्वतंत्रता का इतिहास (History of Independence )

अंग्रेज भारत में 1700 के दशक में पहुंचे थे तब हिंदुस्तानी अंग्रेजी नहीं समझ पाते थे | धीरे – धीरे 1800 के दशक तक कुछ मध्यवर्गीय भारतीय अंग्रेजी की शिक्षा भी प्राप्त करने लगे थे, और वह अंग्रेजी अच्छे से समझने लग गए थे । फिर उन्हें अंग्रेजों के पास नौकरिया करने का अवसर भी प्राप्त हुआ |   

बढ़ता राष्ट्रवाद शीर्ष : 1880 की शताब्दी तक कई भारतीय ब्रिटिश सरकार से निराश हो चुके थे । अंग्रेज़ भारत के व्यवसाय पर भी अपना शासन चलाने लगे थे  । शिक्षित भारतीय सिविल सेवा में नौकरियां करने का मौक़ा चाहते थे। उनका विचार होता था भारत की अपनी सरकार हो, जिसमें भारतीय ही सांसद बनें। इसके चलते 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की गई । धीरे -धीरे वह भारतीयों को अपने व्यापार में शामिल करने लगे जिसका कुछ भारतीयों ने समर्थन भी किया | भारतीयों से मजदूरी का काम करवाया जाता था | भारत ब्रिटेन के लिए काफ़ी क़ीमती सिद्ध हुआ था |

वर्ष 1918 में प्रथम विश्व युद्ध हुआ था जिसके अंत तक ब्रिटिश शासन अभी भी सुरक्षित था। भारत के राष्ट्रवादियों ने ब्रिटिश शासन के विरोध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए थे और कभी – कभी हिंसक दुर्घटना भी हो जाती थी । भारत के कई सैनिकों ने इस महान युद्ध में अपना बलिदान दिया | वर्ष 1919 में अमृतसर में एक बैठक की गई जिसमें भारी संख्या में लोग शामिल हुए । उस बैठक में ब्रिटिश शासन का विरोद्ध शांतिपूर्ण प्रदर्शन हो रहा था | जनरल डायर ने अपने सैनिकों को उन सभी लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया। उस हत्याकांड में लगभग 400 लोग मारे गए और लगभग 1000 लोग घायल हुए। उसके इस क़दम के बाद भारतीयों में ब्रिटेन के ख़िलाफ़ आक्रोश फैल गया। यह देखकर ब्रिटेन ने जनरल डायर को सेवानिवृत्त कर दिया था |

अमृतसर की घटना में ब्रिटिश प्रतिक्रिया का एक कारण यह भी कहा जाता है कि वह बढ़ते हुए राष्ट्रवादी आंदोलन से घबरा गए थे। देश के बाकी हिस्सों में भी राष्ट्रवादी आंदोलन होते रहते और उनमें कई लोग शामिल होते थे जिनमें से एक महात्मा गाँधी भी थे | ब्रिटिश शासन के खिलाफ हो रहे कई प्रदर्शनों का उन्होंने नेतृत्व भी किया। उदाहरण – उन्होंने नमक पर लगे कर का भी विरोध किया और हजारों भारतीयों का नेतृत्व भी किया। इस कर के द्वारा भारतीयों के साथ भेदभाव होता था । जब महात्मा गाँधी ने कर के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया, तब ब्रिटिश सैनिकों ने सभा को भंग करने की कोशिश की |

वर्ष 1920 – 1930 के दशक में भारत का विचार ब्रिटिश सरकार को हमारे देश से निकाल देने का हो गया था | यह देश के क्रांतिकारियों और स्वतत्रता सेनानियों जैसे कि महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू तथा अन्य राष्ट्रवादी नेताओं के काम का नतीजा था। ब्रिटेन ने भारत को कई कार्यों में स्वतंत्रता देने की शुरुआत की | भारतीयों को मतदान के योग्य बनाया | भारतीयों को रोज़गार देने के अवसर मिलने शुरू हुए उनको परिषद और सरकार में मंत्री के रूप में भी काम करने को मिला | वर्ष 1929 तक सब कुछ ठीक चल रहा था, भारतीय अपने देश को चलाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे थे। वर्ष 1935 में ब्रिटिश संसद ने भारत सरकार अधिनियम पारित किया जिसमें भारत को स्वशासित प्रदेशों में बांटा गया।

ब्रिटिश शासन का विरोध वर्ष 1930 के दशक में और द्वितीय विश्व युद्ध के समय रहा | भारत ने ब्रिटिश साम्राज्य के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए हजारों सैनिकों को भेजा | भारत ने इस युद्ध में अंग्रेजों को पूरा सहयोग दिया और कई भारतीय इस युद्ध में शहीद हुए। वर्ष 1942 में अधिराज्य देने का प्रस्ताव भारत के सामने रखा जिसमें भारत पर बहुत सारे कार्य पर रोक थी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता जवाहरलाल नेहरू ने इसे ठुकरा दिया। महात्मा गांधी और अन्य राष्ट्रवादी संपूर्ण राज्य की  मांग करते रहे और भारत को स्वतंत्रता दिलाने का प्रयास करते थे | अंग्रेज भारत छोड़ने के लिए असन्तुष्ट थे क्यूकि उनको डर था कि भारत में मुसलमानों और हिंदुओं के बीच गृह युद्ध हो सकता है । भारतीय राष्‍ट्रीय आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था जो कि क्रांतिकारों को मिलाकर बना था जिसका मुख्य लक्ष्य था भारत से ईस्ट इंडिया कंपनी को खत्म कर देना | 

विभाजन ( Partition)

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध ( Essay on Independence day in Hindi)
विभाजन ( Partition)

अंग्रेज भारत छोड़ने से पहले भारत को टुकड़ो में बाँटना चाहते थे। उन्होंने हिंदुयों और मुस्लिमों के आपसी मनमुटाव को भली भांति पहचान लिया था इसलिए उन्होंने आग में घी डालने का प्रयास किया और उनके बीच के तनाव को बढ़ावा देना शुरू कर दिया। दूसरी और नेहरू और जिन्ना भी सत्ता हासिल करना चाहते थे और इसलिए दोनों ने भी भारत विभाजन फैसले का समर्थन किया। अंग्रेजों ने लार्ड माउंटबेटन जो उस समय भारत का वाइसराय था विभाजन की जिम्मेदारी सौंपी थी। 3 जून 1947 को जब अंग्रेजों ने 15 अगस्त को भारत छोड़ने और विभाजन बात कही तब गाँधी जी, नेहरू और वल्ल्भभाई पटेल  के ऊपर  गुस्से हुए क्योंकि उन्होंने विभाजन का समर्थन किया था ।उन्होंने चुप्पी धारण कर ली और विभाजन पर कुछ नहीं बोले उनकी इसी बात पर लोग उनसे गुस्से हो गए थे क्योंकि केवल महात्मा गाँधी ही इस विभाजन को रोक सकते थे।   

8 जुलाई 1947 को वास्तुकार रेडक्लिफ को भारत – पकिस्तान की सीमा तय करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। रेडक्लिफ भारत के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी इसलिए उसने 2 कांग्रेस और 2 मुस्लिम लीग के नेताओं को सीमा तय करने के लिए अपने साथ लिया। अंग्रेज चाहते थे की भारत टुकड़ो में विभाजित हो जाए इसलिए उन्होंने सभी रियासतों को अपनी मर्ज़ी से राष्ट्र चुनने की आज़ादी दी किन्तु 365 में से 363 भारत के साथ और हैदराबाद, जूनागढ़ तथा जम्मू -कश्मीर ने पूर्ण स्वतंत्र होने का सुझाव दिया। 

14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया।  विभाजन के समय तनाव होना स्वाविक था पर इतना नरसंहार होगा किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। 1951 के आंकड़ों के अनुसार 72 लाख लोग भारत आना और 72 लाख लोग पाकिस्तान जाना चाहते थे। ऐसी परस्थिति में सीमा के दोनों और बड़े पैमाने पर हिंसा और नरसंहार हुई और मरने वालो की संख्या 2-10 लाख के बीच हो गई थी।  लाखों लोग 10 किलोमीटर  की लम्बी कतार में जा रहे थे। बच्चों  और बूढ़ों को बैलगाड़ी में और युवा पैदल ही जा रहे थे। खाने – पीने की कोई व्यवस्था न होने के कारण कई लोग रास्ते में ही भूख और प्यास से मर गए थे। 

सरकार द्वारा रेल सेवा उपलब्द थी परन्तु विद्रोही लोग रेलों में घुसकर लोगों की हत्या कर रहे थे। लाशों से भरी रेल गाड़ियां सीमा पार करी जा रही थी। और ऐसा मंजर था की कोई भी देख नहीं सकता था। और पैदल जा रहे  काफ़िलों पर भी कातिलाना हमले होते, बहुत से लोग मारे गए और बहुत से लोग अपने परिवार से बिछड़ गए। विभाजन के समय एक देश से दूसरे देश में आये लोगों को भारी मुसीबत उठानी पड़ी वह सब लोग अपना बसा – बसाया घर छोड़कर आये थे और नए देश में उनके पास रहने व खाने पीने का कोई ठिकाना नहीं था।  उन्हें शरणार्थी शिविरों में रहना पड़ा फिर धीरे – धीरे उन्हें सरकार के द्वारा पुनः घर निर्माण में मदद दी गयी।  इस तरह लाखों लोग इधर से उधर गए और कई लोग इस विभाजन में मारे भी गए। भारत के विभाजन का सबसे ज्यादा नुक्सान पंजाब और बंगाल को हुआ था। विभाजन के बाद पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री और मुहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान कराची के जनरल गवर्नर नियुक्त हुए थे। 

स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है (How Independence day is celebrated)

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध ( Essay on Independence day in Hindi)

स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है | हर साल 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री राजधानी नई दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं और हेलीकॉप्टर के द्वारा तिरंगे पर फूल बरसाए जाते हैं। जैसे ही तिरंगा लहराता है वैसे ही सारे खड़े होकर राष्ट्रगान गाना शुरू कर देते हैं | उसके बाद 21 तोपों के साथ सलामी होती है | हमारे प्रधान मंत्री  देशभक्ति का भाषण देकर उन सभी महान लोगों को याद करते हैं जिन्होंने भारत को आज़ादी दिलाने के लिए अपना बलिदान दिया था। इस दिन को स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयो, शैक्षणिक संस्थानो, कार्यालयों और विभिन्न अन्य स्थानों में उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन छात्रों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक प्रतियोगिता, देश भगति के कार्यक्रम, गायन प्रतियोगिता, सांस्कृतिक गतिविधियां इत्यादि का आयोजित किया जाता, और कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती है तथा जीतने वाले को पुरस्कार भी दिये जाते हैं । कार्यक्रम शुरू करने से पहले मुख्य अतिथि या फिर स्कूल के प्रधानाचार्य के द्वारा राष्ट्रीय झण्डा फहराया जाता है, और राष्ट्रगान गाया जाता है | छात्रों के द्वारा वर्दी पहनकर मार्च पास्ट किया जाता है |  फिर मुख्य अतिथि सभा को सम्भोधित करतें हैं और बच्चों में मिठाइयाँ भी बाँटी जाती है। 

परिणाम – स्वतंत्रता दिवस पर निबंध ( Result – Essay on Independence day in Hindi)

इस प्रकार स्वतंत्रता दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है । लेकिन इतने में सब कुछ नहीं है। आजादी के बाद हमने वह सब कुछ प्राप्त कर लिया है जो हमारे पास होना चाहिये था | आज भारत ने चिकित्सा, विज्ञान, खगोल विज्ञान, पढ़ाई, रक्षा उद्योग, खोज, और प्रौद्योगिकी जैसे कई क्षेत्रों में बहुत उन्नति की है | भारत विकसित होने के लिए दिन – रात जुटा हुआ है । बहुत से विदेशी हमारे देश में अपना ईलाज करवाने आते हैं और कुछ पढ़ाई करने भी आते हैं | यहीं नहीं बल्कि हमारे देश में बहुत ज्यादा पर्यटन स्थल भी है और बहुत से सैलानी हमारे देश में घूमने के लिये भी आते हैं |

भारत ने अपने आप को बहुत मज़बूत तो बना लिया है, पर फिर भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें वह दूसरे देशों से मदद लेता है | विभिन्न धर्म, रंग और जाति के लोग होने से हमारे देश में काफ़ी मतभेद रहता है | हमें इन सब मतभेदों से ऊपर उठकर ऐकता दिखानी चाहिये और एक जुट होकर अपने देश की तरक्की के लिये अपना सहयोग देना चाहिये | हमें अपने देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति को सुघारने की जरुरत है |हमें अपने देश की समृद्वि और विकास पर ज़्यादा ध्यान देना होगा ताकि हमारा देश हर क्षेत्र में पहले नंबर पर रहे  | यह तभी संभव है जब हम आपसी प्यार और एक जुट होकर काम करेंगे | हमें अपने देश की आर्थिक दिशा सुधारने की जरुरत है और जनसंख्या में वृद्धि के कारण हो रही बेरोजगारी और गरीबी से छुटकारा पाने के लिए कोई ठोस क़दम उठाने होंगे । भगवान से यही दुआ है कि हमारा देश जल्दी उन्नति करे |

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सारांश – स्वतंत्रता दिवस पर निबंध Essay on Independence day in Hindi)

हम यह आशा करते है की इस पोस्ट “स्वतंत्रता दिवस पर निबंध Essay on Independence day in Hindi ” में आपको स्वतंत्रता दिवस पर निबंध लिखने के लिए  अच्छी जानकारी मिली होगी चलो हम अब इसका सार जानने का प्रयास करते है।

  • स्वतंत्रता दिवस भारत का एक प्रमुख दिन है ।
  • यह 15 अगस्त को मनाया जाता है।
  • 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से आज़ादी मिली थी।
  • अंग्रेजों ने भारत छोड़ने से पहले भारत को दो टुकड़े कर दिए।
  • पाकिस्तान का जन्म भारत से हुआ 14 अगस्त 1947 को।
  • हर साल 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री राजधानी नई दिल्ली में लाल किले पर तिरंगा फहराते हैं।
  • स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत में राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है |

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